Battle of Saragarhi एक ऐसा historic battle है जिसे दुनिया के best last standing battles में गिना जाता है। जहाँ 21 सिख soldiers की regiment ने 10000 अफगानियों से जंग लड़कर उन्हें हराया था। Akshay Kumar की film Kesari भी इसी real life battle पे based है। इस post में हम आपको Battle of Saragarhi की कहानी बताएँगे तो चलिए शुरू करते हैं।
18th Century में जब Britishers ने INDIA को in wait किया उसके बाद से ही उनकी नज़र Afghanistan पे भी थी जहाँ कई बार उनके border areas पे British सेना attack कर दिया करती थी। जिसके कारण अफगान के लोगों में बहुत गुस्सा था। इसी वजह से अफगानियों ने कई बार British Indian Army पे attack भी किये जिसके बाद Afghan Indian border पे tension बढ़ गयी। ये border area पहाड़ियों से घिरा हुआ था जहाँ 2 किले हुआ करते थे Fort Gulistan और Fort Lockhart दोनों ही जगह British सेना ने अपने soldiers तैनात किये हुए थे। पर since ये दोनों किले पहाड़ो पे situated थे जिसके वजह से communicate करना मुश्किल हो जाता था। इसीलिए दोनों किलों के बीच की mountain range पे एक और किला बनाया गया जिसका नाम रखा गया Saragarhi.
Fort Saragarhi पे 21 सिख soldiers तैनात हुआ करते थे जिनका main काम fort Lockhart और fort Gulistan को signal देना होता था। Since उस वक्त telephone या कोई electronic technology का होना पहाड़ो पर possible नहीं था तो signals mirrors के through दिए जाते थे जिस process को Heliography कहा जाता है। Fort Gulistan और Fort Lockhart के comparison में Fort Saragarhi पे बहुत कम soldiers तैनात थे तो अफ़्ग़ानियो ने इस post पे attack करना सही समझा क्योकि अगर उन्हें Fort Saragarhi मिल जाता तो दोनों main forts का communication रुक जाता और अफ़्ग़ानियो के लिए ये एक बड़ी जीत होती।
इसी तरह से 12th September 1897 की सुबह Fort Saragarhi पे तैनात 21 सिख soildiers के regiment ने अपने सामने 10000 अफगानियों को युद्ध के लिए आते देखा और उन्होंने Fort Lockhart पे signal भेजा की उन्हें और soldiers की जरुरत है क्योकि 10000 के सामने 21 soldiers का survive करना impossible था। पर British सेना को लगभग 7 से 8 घंटे चाहिए थे क्योकि इतने सारे soldiers को एक साथ भेजने में भी time लगना था। जिसके बाद सिख regiment के leader Havildar Ishar Singh ने ऐलान किया हम चाहे 21 ही हों पर हम इन 10000 अफगानियों से अपनी आखरी सांस तक लड़ेंगे।
Havildar Ishar Singh को भी पता था की ये लड़ाई उनके regiment के लिए एक suicide mission के बराबर है पर वो उनमे से नहीं थे जो जंग के दौरान मैदान छोड़ के भाग जाएँ। उन्होंने 21 soldiers के साथ ही लड़ना शुरू किया जिसमे से कई सैनिक तो जंग के लिए कभी तैयार ही नहीं किये गए थे। किसी का काम खाना बनाना था तो किसी का message decode करना पर इस battle के लिए सभी ने अपनी जान लगा दी क्योकि उनका main मकसद दुश्मन को किसी भी हाल में आगे बढ़ने से रोकना था।
इस लड़ाई की शुरुवात में ही ढेरो अफ़्ग़ानियो को सिख soldiers ने मार गिराया। Fort के ऊंचाई पर होने की वजह से सिख सैनिकों के पास advantage था जिसकी वजह से वो दुश्मनो की हर movement को देख पा रहे थे। पर ये advantage भी कुछ ही घंटो तक काम आया क्योकि सिख सैनिकों के पास गोलियों और सैनिकों की कमी के कारण अफगानी धीरे धीरे किले के पास पहुँच चुके थे। उन्होंने 2 बार किले के दरवाजे को तोड़ने की कोशिश भी की पर उनसे ये नहीं हो पाया। फिर उसके बाद उन्होंने दिवार तोड़कर किले में entry पा ली और उसी दौरान कई सिख सैनिक भी मारे गए।
अब situation ये थी की सिख सैनिकों के पास गोलियां खत्म हो चुकी थीं। तो उन्होंने अपनी लड़ाई तलवारों या बिना किसी हथियार के ही जारी रखी। किले की अंदर घुसाने के बाद भी अफ़ग़ानियों को कई घंटों तक सिख सैनिकों ने कड़ी चुनौती दी और जख्मी होते हुए भी Havildar Ishar Singh और उनकी regiment लड़ती रही। हमारे कई सैनिकों को इस लड़ाई में जिन्दा भी जला दिया गया पर हर मुश्किल का सामना करते हुए वो आख़री दम तक अफ़्ग़ानियो से लड़ते रहे जिसमे से सबसे आखिर में एक ही सैनिक बचा था जो किले के सबसे ऊपर signal देने के लिए तैनात था। History books में भी उनके बारे में mention किया गया है की जाते जाते उन्होंने भी 20 अफ़ग़ानियों को मार गिराया था।
Saragarhi की लड़ाई के अंत में सभी 21 सैनिक शहीद हो चुके थे पर इन 21 सैनिकों ने लगभग 7 घंटे तक लड़ाई जारी रखी जिसमे दुश्मनो की सेना के लगभग 600 लोग मारे गए और कई हजारों को बुरी तरह जख्मी कर दिया गया। लड़ाई के खत्म होने के बाद British सेना के सैनिक किले पे पहुंचे और उन्होंने इसके बाद situation को control में लिया। क्योकि इतने घंटो की लड़ाई में कई अफगानी सैनिक थक चुके थे और कई वापस भाग गए थे जिसके कारण उनके पास न कोई leader और ना ही लड़ने की कोई strategy बची थी।
Battle of Saragarhi की उस time पूरी दुनिया में चर्चा हुई थी क्योकि ये एक बहुत ही हैरान कर देने वाली लड़ाई थी जहाँ 21 सैनिकों ने 10000 अफ़्ग़ानियो की सेना को हरा दिया था। इस battle के बाद उन 21 सैनिकों को Indian Order of Merit से सम्मानित किया गया जो उस समय India का highest bravery award था।
18th Century में जब Britishers ने INDIA को in wait किया उसके बाद से ही उनकी नज़र Afghanistan पे भी थी जहाँ कई बार उनके border areas पे British सेना attack कर दिया करती थी। जिसके कारण अफगान के लोगों में बहुत गुस्सा था। इसी वजह से अफगानियों ने कई बार British Indian Army पे attack भी किये जिसके बाद Afghan Indian border पे tension बढ़ गयी। ये border area पहाड़ियों से घिरा हुआ था जहाँ 2 किले हुआ करते थे Fort Gulistan और Fort Lockhart दोनों ही जगह British सेना ने अपने soldiers तैनात किये हुए थे। पर since ये दोनों किले पहाड़ो पे situated थे जिसके वजह से communicate करना मुश्किल हो जाता था। इसीलिए दोनों किलों के बीच की mountain range पे एक और किला बनाया गया जिसका नाम रखा गया Saragarhi.
Fort Saragarhi पे 21 सिख soldiers तैनात हुआ करते थे जिनका main काम fort Lockhart और fort Gulistan को signal देना होता था। Since उस वक्त telephone या कोई electronic technology का होना पहाड़ो पर possible नहीं था तो signals mirrors के through दिए जाते थे जिस process को Heliography कहा जाता है। Fort Gulistan और Fort Lockhart के comparison में Fort Saragarhi पे बहुत कम soldiers तैनात थे तो अफ़्ग़ानियो ने इस post पे attack करना सही समझा क्योकि अगर उन्हें Fort Saragarhi मिल जाता तो दोनों main forts का communication रुक जाता और अफ़्ग़ानियो के लिए ये एक बड़ी जीत होती।
इसी तरह से 12th September 1897 की सुबह Fort Saragarhi पे तैनात 21 सिख soildiers के regiment ने अपने सामने 10000 अफगानियों को युद्ध के लिए आते देखा और उन्होंने Fort Lockhart पे signal भेजा की उन्हें और soldiers की जरुरत है क्योकि 10000 के सामने 21 soldiers का survive करना impossible था। पर British सेना को लगभग 7 से 8 घंटे चाहिए थे क्योकि इतने सारे soldiers को एक साथ भेजने में भी time लगना था। जिसके बाद सिख regiment के leader Havildar Ishar Singh ने ऐलान किया हम चाहे 21 ही हों पर हम इन 10000 अफगानियों से अपनी आखरी सांस तक लड़ेंगे।
Havildar Ishar Singh को भी पता था की ये लड़ाई उनके regiment के लिए एक suicide mission के बराबर है पर वो उनमे से नहीं थे जो जंग के दौरान मैदान छोड़ के भाग जाएँ। उन्होंने 21 soldiers के साथ ही लड़ना शुरू किया जिसमे से कई सैनिक तो जंग के लिए कभी तैयार ही नहीं किये गए थे। किसी का काम खाना बनाना था तो किसी का message decode करना पर इस battle के लिए सभी ने अपनी जान लगा दी क्योकि उनका main मकसद दुश्मन को किसी भी हाल में आगे बढ़ने से रोकना था।
इस लड़ाई की शुरुवात में ही ढेरो अफ़्ग़ानियो को सिख soldiers ने मार गिराया। Fort के ऊंचाई पर होने की वजह से सिख सैनिकों के पास advantage था जिसकी वजह से वो दुश्मनो की हर movement को देख पा रहे थे। पर ये advantage भी कुछ ही घंटो तक काम आया क्योकि सिख सैनिकों के पास गोलियों और सैनिकों की कमी के कारण अफगानी धीरे धीरे किले के पास पहुँच चुके थे। उन्होंने 2 बार किले के दरवाजे को तोड़ने की कोशिश भी की पर उनसे ये नहीं हो पाया। फिर उसके बाद उन्होंने दिवार तोड़कर किले में entry पा ली और उसी दौरान कई सिख सैनिक भी मारे गए।
अब situation ये थी की सिख सैनिकों के पास गोलियां खत्म हो चुकी थीं। तो उन्होंने अपनी लड़ाई तलवारों या बिना किसी हथियार के ही जारी रखी। किले की अंदर घुसाने के बाद भी अफ़ग़ानियों को कई घंटों तक सिख सैनिकों ने कड़ी चुनौती दी और जख्मी होते हुए भी Havildar Ishar Singh और उनकी regiment लड़ती रही। हमारे कई सैनिकों को इस लड़ाई में जिन्दा भी जला दिया गया पर हर मुश्किल का सामना करते हुए वो आख़री दम तक अफ़्ग़ानियो से लड़ते रहे जिसमे से सबसे आखिर में एक ही सैनिक बचा था जो किले के सबसे ऊपर signal देने के लिए तैनात था। History books में भी उनके बारे में mention किया गया है की जाते जाते उन्होंने भी 20 अफ़ग़ानियों को मार गिराया था।
Saragarhi की लड़ाई के अंत में सभी 21 सैनिक शहीद हो चुके थे पर इन 21 सैनिकों ने लगभग 7 घंटे तक लड़ाई जारी रखी जिसमे दुश्मनो की सेना के लगभग 600 लोग मारे गए और कई हजारों को बुरी तरह जख्मी कर दिया गया। लड़ाई के खत्म होने के बाद British सेना के सैनिक किले पे पहुंचे और उन्होंने इसके बाद situation को control में लिया। क्योकि इतने घंटो की लड़ाई में कई अफगानी सैनिक थक चुके थे और कई वापस भाग गए थे जिसके कारण उनके पास न कोई leader और ना ही लड़ने की कोई strategy बची थी।
Battle of Saragarhi की उस time पूरी दुनिया में चर्चा हुई थी क्योकि ये एक बहुत ही हैरान कर देने वाली लड़ाई थी जहाँ 21 सैनिकों ने 10000 अफ़्ग़ानियो की सेना को हरा दिया था। इस battle के बाद उन 21 सैनिकों को Indian Order of Merit से सम्मानित किया गया जो उस समय India का highest bravery award था।
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