Kalapani एक ऐसी सजा थी जिसका सिर्फ नाम ही लोगों के रोंगटे खड़े कर देने के लिए काफ़ी था। हालाँकि भले ही हम इस सजा के बारे में ज्यादा नहीं सुनते लेकिन जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था उस समय देशवाशियो के लिए फांसी के बाद यह सबसे बड़ी सजा थी।
दरअसल Kalapani भारत के Andaman Nicobar द्वीप पर बसे Cellular Jail को कहा जाता था। जो अंग्रेजो द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को कैद में रखने के लिए बनाया गया था। भारत को आजाद करवाने के लिए 1857 से पुरे देश में क्रांति की लहर शुरू हो गयी थी और इसी से घबरा कर अंग्रेजी हुकूमत ने बहुत से क्रांतिकारियों को फांसी के फंदे पे लड़का दिया और जिन्हे फांसी की सजा नहीं दी गयी उन्हें आजीवन कारावास दे दिया गया ताकि वो अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ दोबारा से कुछ भी न कर सकें। फिर जैसे जैसे समय आगे बीतता गया तो आजादी की मुहीम और भी तेज़ होती गयी और अब ज्यादा कैदियों को रखने के लये अंग्रेजों को एक बहुत ही बड़ी जेल की आवश्यकता हुई। इसीलिए 1896 में Andaman Nicobar द्वीप पर एक जेल बनाना शुरू किया गया जोकि 1906 में जाकर तैयार हुआ। इसी जेल को भारत के लोन Kalapani के नाम से जानने लगे। जबकि अंग्रेजों ने इसका नाम Cellular Jail रखा था।
दोस्तों इस जेल का नाम इसीलिए Cellular Jail रखा गया क्योंकि इस जेल में हर कैदी के लिए एक अलग अलग Cell थी और कोई भी एक दूसरे से आपसे में बात तक नहीं कर सकता था। और यहाँ के लोगों को यही अकेलापन ही सबसे ज्यादा खड़ती थी। दरअसल स्वतंत्रता सेनानी जब एक दूसरे के साथ होते थे तो आजादी की कोई न कोई planning करने लगते थे और इसी बात से बचने के लिए इस जेल में सभी कैदियों के लिए अगल अलग cells बनाये हुए थे और यह जेल क्योकि पानी से पूरी तरह से घिरी हुई थी इसीलिए अगर कोई भागने की भी कोशिश करता तब भी आगे का रास्ता उसके लिए आसान नहीं था। इस जेल में कैदियों को बेड़ियों में बांध के रखा जाता था साथ ही उनसे कोल्हू द्वारा तेल भी पिरवाया जाता था।
इस नरक से बचने के लये 238 कैदियों ने भागने की भी कोशिश की थी लेकिन वो कामयाब न हो सके और पकडे गए। और पकडे जाने के बाद वहां पर दिए जाने वाली सजा के डर से कुछ लोगों ने तो आत्महत्या कर ली इसके अलावा बचे कुछ लोगों में से 87 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गयी। इसके अलावा जेल में किये जा रहे बुरे बर्ताव के लिए 1933 में कैदियों ने जेल के अंदर भूख हड़ताल भी की थी। लेकिन इस बात से परेशान होकर अंग्रेजों ने कैदियों के मुंह में जबरदस्ती खाना ठुंसा और इस जबरदस्दी की वजह से भी कई सारे सवतंत्रता सेनानियों की जान चली गयी।
सन 1942 में Japan ने Andaman Nicobar पर हमला कर के उसे अपने कब्जे में ले लिया। और यहाँ पर Japan ने British लोगों को उन्ही के बनाये हुए जेल में कैद कर के रखा। जबकि Rabindranath Tagore और Mahatma Gandhi के आंदोलन की वजह से भारत के लोगों को वहां से छुड़ा लिया गया था। World War 2 के खत्म हो जाने के बाद Japan की हार की वजह से अंग्रेजो ने इस जेल पर फिर से अपना कब्ज़ा जमा लिया। लेकिन इसी बीच 1947 में भारत भी अंग्रेजो से आजाद हो गया और फिर आगे चल कर भारत सरकार ने इस जेल को 1979 में राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर दिया। अब यहाँ पर कोई भी जाकर भारत के वीर शहीदों पर हुए जुल्म को देख सकता है। इस जेल में एक museum भी है जहाँ पर उस समय के हथियार, जंजीर और फांसी के फंदे रखे हुए हैं साथ ही इस जेल की दीवारों पर शहीदों के नाम भी लिखे हुए हैं। दोस्तों आज भले ही Kalapani के जैसा कोई भी सजा नहीं रह गया लेकिन यह ईमारत क्रांतिकारियों की वीरता की कहानी बयान करती है। हम भी उन भारत के जवानो को salute करते है जो की इतने जुल्म सहने के बाद भी भारत माता की जय बोले से पीछे नहीं हटे। उम्मीद करते हैं की यह कहानी आपको जरूर पसंद आयी होगी।
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दरअसल Kalapani भारत के Andaman Nicobar द्वीप पर बसे Cellular Jail को कहा जाता था। जो अंग्रेजो द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को कैद में रखने के लिए बनाया गया था। भारत को आजाद करवाने के लिए 1857 से पुरे देश में क्रांति की लहर शुरू हो गयी थी और इसी से घबरा कर अंग्रेजी हुकूमत ने बहुत से क्रांतिकारियों को फांसी के फंदे पे लड़का दिया और जिन्हे फांसी की सजा नहीं दी गयी उन्हें आजीवन कारावास दे दिया गया ताकि वो अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ दोबारा से कुछ भी न कर सकें। फिर जैसे जैसे समय आगे बीतता गया तो आजादी की मुहीम और भी तेज़ होती गयी और अब ज्यादा कैदियों को रखने के लये अंग्रेजों को एक बहुत ही बड़ी जेल की आवश्यकता हुई। इसीलिए 1896 में Andaman Nicobar द्वीप पर एक जेल बनाना शुरू किया गया जोकि 1906 में जाकर तैयार हुआ। इसी जेल को भारत के लोन Kalapani के नाम से जानने लगे। जबकि अंग्रेजों ने इसका नाम Cellular Jail रखा था।
दोस्तों इस जेल का नाम इसीलिए Cellular Jail रखा गया क्योंकि इस जेल में हर कैदी के लिए एक अलग अलग Cell थी और कोई भी एक दूसरे से आपसे में बात तक नहीं कर सकता था। और यहाँ के लोगों को यही अकेलापन ही सबसे ज्यादा खड़ती थी। दरअसल स्वतंत्रता सेनानी जब एक दूसरे के साथ होते थे तो आजादी की कोई न कोई planning करने लगते थे और इसी बात से बचने के लिए इस जेल में सभी कैदियों के लिए अगल अलग cells बनाये हुए थे और यह जेल क्योकि पानी से पूरी तरह से घिरी हुई थी इसीलिए अगर कोई भागने की भी कोशिश करता तब भी आगे का रास्ता उसके लिए आसान नहीं था। इस जेल में कैदियों को बेड़ियों में बांध के रखा जाता था साथ ही उनसे कोल्हू द्वारा तेल भी पिरवाया जाता था।
इस नरक से बचने के लये 238 कैदियों ने भागने की भी कोशिश की थी लेकिन वो कामयाब न हो सके और पकडे गए। और पकडे जाने के बाद वहां पर दिए जाने वाली सजा के डर से कुछ लोगों ने तो आत्महत्या कर ली इसके अलावा बचे कुछ लोगों में से 87 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गयी। इसके अलावा जेल में किये जा रहे बुरे बर्ताव के लिए 1933 में कैदियों ने जेल के अंदर भूख हड़ताल भी की थी। लेकिन इस बात से परेशान होकर अंग्रेजों ने कैदियों के मुंह में जबरदस्ती खाना ठुंसा और इस जबरदस्दी की वजह से भी कई सारे सवतंत्रता सेनानियों की जान चली गयी।
Cellular Jail में सजा काटने वालों में कुछ बड़े नाम हैं।
- Batukeshwar Dutt
- Vinayak Damodar Savarkar
- Babarao Savarkar
- Sohan Singh
- Fazl-e-Haq Khairabadi
- Yogendra Shukla
- Sachindra Nath Sanyal
- Bhai Parmanand
- Subodh Roy
दोस्तों Kalapani Jail कितनी कठोर होती थी इससे जुडी एक बहुत ही रोचक कथा प्रचलित है जिससे आपको kalepani सजा का अंदाजा हो सकता है की वहां कैदी कैसे अपना जीवन बिताते होंगे। इससे जुडी एक कथा है की जब Veer Savarkar कालेपानी में कैद की सजा काट रहे थे तो उनके बड़े भाई गणेश सावरकर को भी वहीँ कैद में डाला गया था। Veer Savarkar को यह पता भी नहीं था की इसी जेल में भाई साहब भी हैं। एक दिन गणेश सावरकर अपनी रोटियां बनाकर अपने cell में जा रहे थे तो अचानक छोटे भाई को सामने से आता देख कर वे ठिठक गए। दोनों भाइयों के नेत्र से अश्रु की धरा बह निकली। Savarkar समझते थे के उनके बड़े भाई घर में हैं उन्हें इसका पता नहीं था की बड़े भाई को भी इसी जेल में डाला गया है।
Kalapani Jail पर Atal Bhihari Vajpayee जी की लिखी एक कविता बहुत प्रसिद्ध हुई।
जो बरसों तक लड़े जेल में उनकी याद करें।
जो फांसी पर चढ़े खेल में उनकी याद करें।
याद करें कालापानी को अंग्रेंजो की मनमानी को,
कोल्हू में जुट तेल पेलते सावरकर की बलिदानी को।
जो बरसों तक लड़े जेल में उनकी याद करें।
जो फांसी पर चढ़े खेल में उनकी याद करें।
याद करें कालापानी को अंग्रेंजो की मनमानी को,
कोल्हू में जुट तेल पेलते सावरकर की बलिदानी को।
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